उदयपुर, 08.04.2022। क्षेत्रीय अनुसंधान एवं विस्तार
सलाहकार समिति संभाग चतुर्थ -अ, खरीफ 2021 की दो दिवसीय बैठक का आयोजन
दिनंाक 7-8 अप्रैल 2022 को क्षैत्रीय अनुसंधान केन्द्र, अनुसंधान निदेशालय,
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर में किया
गया। यह बैठक खरीफ 2021 के अनुसंधान व विस्तार के क्षेत्र में किए कार्यों
के प्रस्तुतिकरण तथा पिछले दो - तीन वर्ष के प्रमाणित अनुसंधान परिणामों को
पैकेज ऑफ प्रेक्टिसेस में सम्मिलित करने की अनुशंसा के लिए की जाती है।
इस
बैठक में कुलपति, मप्रकृप्रौेविवि डॉ. नरेन्द्र सिंह राठौड़ ने अपने
अध्यक्षीय उद्बोदन् में कहा कि वैज्ञानिक समय की आवश्यकता के अनुरूप
अनुसंधान कार्यों में विकास व नवाचार करें। इस हेतु उन्होंने अनुसंधान
परियोजनाओं को नया रूप देकर इनका पुर्नगठन करने का आह्वान किया। उन्होने
वर्तमान में कृषि में नवाचार, कार्य दक्षता विकास व तकनीकी डिजिटलीकरण के
महत्व को बताया।
डॉ. राठौड़ ने कहा कि कृषि में रासायनों के अधिक उपयोग से
मृदा में जैविक कार्बन व सूक्ष्म जीवों की कमी हो रही है जिसका प्रतिकूल
प्रभाव मृदा स्वास्थ पर पड़ रहा है जिसके निवारण हेतु जैविक/प्राकृतिक खेती
को अपनाने की आवश्यकता है। उन्हांेने अनुसंधान में FAITH का मंत्र दिया।
साथ ही अनुसंधान में सफलता के लिए एकाकी दृष्टिकोण की तुलना में समन्वित
दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया। उन्हांेने कृषि में समुचित विकास के लिये
कृषकों को नवीन तकनीकों से सशक्त करने की बात कही।
डॉ.
एस. के. शर्मा, निदेशक अनुसंधान, ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा मक्का
की किस्म के बीजोत्पादन एवं आय वृद्धि के लिए तीन निजी सस्थानों से एम ओ यू
हस्ताक्षरित किये गये हैं। डॉ. शर्मा, ने कहा कि इस वर्ष विश्वविद्यालय से
ज्वार, चना, मूॅगफली, औषधीय एवं सगंधिय फसलों की आठ किस्में राज्य किस्म
अनुमोदन समिति में भेजी गई है। डॉ. शर्मा, ने सदन को बताया कि
विश्वविद्यालय द्वारा हाईड्रोफोनिक्स, एरोेफोनिक्स, मूल्यसंवर्धन आदि पर नौ
विभिन्न परियोजनाएं प्रस्तावित की गई हैं तथा विश्वविद्यालय द्वारा संगठित
तीन एफ.पी.ओ. पंजिकृत किए गए है। साथ ही उन्होंने जलवायु परिवर्तन
बायोचार, पशु ऊर्जा उपयोग आदि अन्य विषयों पर अनुसंधान पर जोर दिया।
डॉ.
आर. ए. कौशिक, निदेशक प्रसार शिक्षा ने जैविक खेती के सम्पूर्ण पैकेज को
सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों पर उपलब्ध करवाने हेतु आग्रह किया, साथ ही
उन्हांेने विभिन्न अनुसंधान विषयों पर प्रशिक्षण आयोजित करने की बात कहीे।
डॉ. कौशिक ने विभिन्न फसलों की बार्योफोर्टीफाइड किस्मों को पैकेज ऑफ
प्रेक्टिसेस में समाहित करने का आग्रह किया।
बैठक में
श्री आर. जी. नायक, संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार), ने विभिन्न फसलों में
खरीफ 2021 में समस्याओं पर चर्चा की, जिसमें दस वर्ष से कम अवधि की
सोयाबीन, मक्का, उड़द, मूंग व मूंगफली की किस्म,ें मक्का व खरीफ फसलों में
फॉल आर्मी वर्म के नियंत्रण, ऑवला में वृक्ष की छाल फटकर पेड़ों का सूखना,
प्रतिबंधित कीटनाशी के विकल्प हेतुु नये रासायनिक कीटनाशियों के सुझाव एवं
पॉली हाउस में सूत्रकृमि की समस्या प्रमुख थी। उन्हांेने सदन से अनुरोध
किया कि वैज्ञानिक गण इनके समाधान हेतु उपाय सुझाएं।
बैठक
में डॉ. रेखा व्यास क्षेत्रीय अनुसंधान निदेशक ने कृषि संभाग चतुर्थ ‘अ‘,
ने कृषि जलवायु परिस्थितियों तथा नए अनुसंधान तकनीकों पर सदन में
समस्याओं के निदान हेतु विस्तृत चर्चा की। इस बैठक
में उपनिदेशक कृषि, कृषि विभाग, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, राजसमंद एवं परियोजना
अधिकारी, आत्मा एवं विभाग के अन्य अधिकारी, ग्राह्य अनुसंधान केंद्र,
चित्तौड़गढ़ व विश्वविद्यालय के परियोजना प्रभारियों व वैज्ञानिकों ने भाग
लिया। बैठक का संचालन डॉ रेखा व्यास, क्षेत्रीय अनुसंधान निदेशक ने किया।