{ads}

ब्रेकथ्रू इंडिया के पैन-एशिया शिखर सम्मेलन में उभरी राय—लैंगिक हिंसा के खात्मे में परफॉर्मिंग आर्ट और लोकप्रिय मीडिया बन सकते हैं सशक्त माध्यम

 

 

नई दिल्ली, 4 मार्च, 2022: ब्रेकथ्रू इंडिया के पैन-एशिया शिखर सम्मेलन ‘रिफ्रेम’ के दूसरे दिन लिंग आधारित या लैंगिक हिंसा और भेदभाव के बारे में शिक्षित करने और जागरूकता फैलाने में परफॉर्मिंग आर्ट और लोकप्रिय मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया।ब्रेकथ्रू इंडिया दिल्ली स्थित एक गैर-लाभकारी संस्था है जो पॉप संस्कृति और मीडिया के माध्यम से महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम की दिशा में प्रयास करता है। 

शिखर सम्मेलन में रेखांकित किया गया कि प्रमुख हितधारक, गैर-लाभकारी संस्था और सरकारें हिंसा मुक्त दुनिया के निर्माण और लिंग मानदंडों को चुनौती देने वाले कारकों को प्रभावित करने के लिए कैसे परफॉर्मिंग आर्ट और लोकप्रिय मीडिया का इस्तेमाल कर सकती हैंI

भारत स्थित एक नारीवादी विकलांगता अधिकार संस्था राइजिंग फ्लेम की संस्थापक और कार्यकारी निदेशक निधि गोयल ने चर्चा की शुरुआत करते हुए इस पर प्रकाश डाला कि हंसी उड़ाकर कैसे लिंग और विकलांगता को एक कलंक बना दिया गया है। उन्होंने कहा कि कम्युनिकेशन की एक सार्वभौमिक भाषा के तौर पर कला लिंग आधारित हिंसा को लेकर शिक्षा और जागरूकता फैलाने का महत्वपूर्ण साधन तो रही ही है, इसने पीड़ा झेलने वालों को अपनी कहानियां साझा करने के लिए अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम भी मुहैया कराया है। यह चुपचाप सहने की संस्कृति को बदलने में मददगार हो सकती है और महिलाओं को अपने अनुभव बताने और लैंगिक हिंसा के खिलाफ खुलकर बोलने के लिए उपयुक्त मंच भी प्रदान कर सकती है।

कोलकाता के नारीवादी संगठन स्वयं की संस्थापक और निदेशक अनुराधा कपूर ने कहा, ‘सामाजिक बदलावों के लिए कला बेहद सशक्त माध्यम है,चूंकि कला की भाषा सार्वभौमिक है, समझने में आसान है, यह विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों को भी जोड़ती है और जटिल सामाजिक मुद्दों पर हमारी समझ को सरल लेकिन सशक्त तरीके से बढ़ाने में मददगार होती है. हम कला का उपयोग शिक्षित करने, चेतना जगाने के साथ-साथ लिंग आधारित असमानता, समलैंगिकता, नस्लवाद, लिंगवाद जैसी रूढ़ियों और उत्पीड़नों को चुनौती देने के लिए चर्चाएं तेज करने और समाज को लेकर अपनी कल्पनाओं को आकार देने और नए समाधान तलाशने में भी कर सकते हैं।

अनुराधा ने आगे कहा, ‘कला रचनात्मकता बढ़ाने, राय बदलने, सामुदायिक बदलावों और सकारात्मक सोच वाली गतिविधियों को बढ़ाने में मदद करती है। नारीवादी आंदोलनों ने बदलाव के साधन के तौर पर कला का व्यापक इस्तेमाल उपयोग किया है।प्रदर्शन स्थलों, रैलियों और स्कूल-कॉलेज आदि सार्वजनिक स्थलों पर थिएटर, गाने, कला, ललित कला, फिल्मोंजैसी परफॉर्मिंग   आर्ट का इस्तेमाल  मुद्दों को उजागर  करने के  लिए  किया  जाता  रहा  है।

कला को लोगों पर भावनात्मक असर डालने और हाशिए पर पड़े समुदायों के जीवंत अनुभवों को उजागर करने की असीम क्षमता के लिए जाना जाता है, जिसके कारण लगभग हर सामाजिक न्याय आंदोलन के पूरे इतिहास में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका नजर आती है।

लैंगिक मुद्दों पर लोगों के बीच जागरूकता के लिए संगीत के इस्तेमाल की वकालत करते हुए ढाका (बांग्लादेश) की एक संगीतकार, गायिका, गीतकार, कवयित्री, संगीतकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता फरजाना वाहिद शायन ने बताया कि कैसे वह अपने संगीत के जरिये लोगों को जागरूक कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘दुनिया को बदलने के लिए अपनी कला के इस्तेमाल करूं, इसके बजाये मेरी कला ने मुझे ही बदल दिया है. मैं अपने काम में ‘नारीवादी गीत’ जैसे लेबल चस्पा करना नापसंद करने और इसे अपनाने के साथ बढ़ी हूं और अब मैं इसका इस्तेमाल लोगों को शिक्षित करने के लिए करती हूं। 

कभी-कभी मेरा संगीत मेरे दर्शकों, परिवारों से जुड़े लोगों, को असहज कर देता है, क्योंकि यह अमूमन हर घर का हिस्सा बने लैंगिक मुद्दों को छूता है,फिर, मैं यही बात दोहराना चाहती हूं कि महिलाओं के लिए सम्मान का भाव समाज के सभी वर्गों में दिल से होना चाहिए, और मेरे संगीत पर जो फीडबैक और प्रतिक्रिया मिलती हैं, मैं इसे आगे अपने दर्शकों के साथ साझा करती रहती हूं, जिससे हमें एक-दूसरे से सीखने का मौका मिलता है। यह सीखना एक सतत प्रक्रिया है।

अध्ययनों बताते हैं कि कलात्मक प्रक्रिया में समुदायों को शामिल करने से सहानुभूति और मान्यताएं उपजती है, बदलाव आते हैं और वे उस तरह के बदलाव के वाहक बन पाते हैं जो वे दुनिया में देखना चाहते हैं.
एक नारीवादी कार्यकर्ता और श्रीलंका के उत्तर-पूर्व की कलाकार कमला वासुकी ने बताया कि कैसे वह लैंगिक, मानवाधिकार और सामाजिक न्याय के मुद्दों को बढ़ावा देने के लिए रचनात्मक कलाओं (पेंटिंग, लेखन और थिएटर) का इस्तेमाल करती हैं। 

कमला ने कहा, ‘मैं रंगों और रेखाओं का इस्तेमाल इस तरह करने में भरोसा करती हूं जो लोगों के दिमाग में घर कर जाएं, उन्हें सोचने और खुद को बदलने में सक्षम बनाए, उन्हें खुद को जाहिर करने और लैंगिक मुद्दों पर बातचीत शुरू करने के लिए प्रेरित भी करे. गैलरी में सिर्फ अपनी कृतियां प्रदर्शित करने के बजाये मैं कलाकृतियां बनाने की प्रक्रिया में समुदाय को शामिल करने की कोशिश भी करती हूं।

इस बात के काफी प्रमाण मिल रहे हैं कि मौजूदा महामारी ने महिलाओं और लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार और शोषण का जोखिम और बढ़ा दिया है क्योंकि उन्हें आइसोलेशन में अपने शोषण करने वालों के साथ रहने को विवश तक होना पड़ रहा है. हालांकि, डेटा अभी पूरी तरह सामने नहीं आया है, लेकिन उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर यूएन वुमेन ने पहले ही एक ‘शैडो पैनडेमिक’ (हिंसा की) के प्रति आगाह किया है जिसे पहचानने और उससे निपटने की जरूरत है. 50% से 70% के बीच इंटरनेट उपयोग बढ़ने के साथ कला की तरह डिजिटल मीडिया की भी भूमिका अहम हो गई है, और दुनियाभर में बड़ी संख्या में लोगों, खासकर युवाओं तक पहुंच को देखते हुए यह लिंग आधारित हिंसा और भेदभाव को रोकने और इसे पूरी तरह खत्म करने के एजेंडे को आगे बढ़ाने में मददगार हो सकता हैI

भारत की एक अग्रणी डिजिटल कंटेंट क्रिएटर लीजा मंगलदास ने बताया कि कैसे उन्होंने 2017 में यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर यौन शिक्षा संबंधी कंटेंट डालना शुरू किया था, जिसके पीछे इरादा सेक्स, सेक्सुअटी, यौन स्वास्थ्य, लिंग, यौन सुख और शरीर के बारे में बातचीत को सामान्य बनाना था—इसमें लड़कियों और यौन सुख पर विशेष ध्यान दिया गया I

उन्होंने कहा, मेरा काम काफी हद तक डिजिटल है और इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की अच्छी-खासी तादात को देखते हुए डिजिटल माध्यम ज्यादा प्रभाव डालने वाला साबित होता है. अध्ययन बताते हैं कि स्कूल-कॉलेजों में यौन शिक्षा की कमी के कारण युवा अक्सर सेक्स और कामुकता पर अपने सवालों के जवाब तलाशने के लिए इंटरनेट की ओर रुख करते हैं।बहुत संभव है कि इन युवाओं को इंटरनेट पर कोई यौन हिंसा और स्त्रीद्वेष से भरा वीडियो देखने को मिले, ऐसे में यह और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है कि यौन हिंसा को हतोत्साहित करने और आनंद वाले पहलू को बढ़ावा देने वाली यौन शिक्षा इंटरनेट पर उपलब्ध हो।

ब्रेकथ्रू इंडिया मजबूत प्रतिक्रिया तंत्र के साथ एक बेहतर वातावरण के लिए विविध पृष्ठभूमि से सहयोगियों को जोड़ने के महत्व पर जोर देता है जो कि एक अंतर-दृष्टिकोण के साथ लिंग आधारित हिंसा और भेदभाव को दूर करने में मददगार है।

Tags

Top Post Ad

Below Post Ad

Copyright Footer