जयपुर, 07 मार्च, 2022- टायर प्रबंधन कंपनी फ्लीका इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
ने टायर प्रबंधन उद्योग में महिला सशक्तिकरण की दिशा में आवश्यक कदम उठाए
हैं। कंपनी ने ऑटोमोबाइल, लॉजिस्टिक्स और फ्लीट उद्योगों में करियर बनाने
के लिए महिलाओं को सशक्त बनाने और उनका समर्थन करने के लिए एक अनूठी पहल की
है। साथ ही, कंपनी ने अपनी वर्कफोर्स में जेंडर गैप को कम करने के लिए भी
जरूरी कदम उठाए हैं।
मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के
अनुसार, ‘भारत की श्रम शक्ति में केवल 25 प्रतिशत हिस्सा ही महिलाओं का
है।’ यही स्थिति ऑटोमोबाइल उद्योग में भी है।
ऑटोमोबाइल उद्योग को
लंबे समय से महिलाओं के लिए अनुपयुक्त माना जाता है, जिसका नतीजा यह है कि
आज इस पेशे में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है। समझ की कमी, उद्योगों में
निर्माण संबंधी कार्यों में विविधता और कौशल विकास कार्यक्रमों तक सीमित
पहुंच के कारण भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम हो पाया है।
ऐसे
माहौल में फ्लीका इंडिया कंपनी ने महिला सशक्तिकरण पर जोर देते हुए अपने
कार्यबल में जेंडर गैप को कम करने के लिए जरूरी कदम उठाए हैं। फ्लीका का
मिशन लड़कियों और महिलाओं को और अधिक सशक्त बनाना है, ताकि वे टायर उद्योग
को और अधिक गहराई से समझ सकें, उपकरणों और प्रशिक्षण तक उन्हें पहुंच मिल
सके और टायर प्रबंधन के क्षेत्र में करियर बनाने की दिशा में विचार करने के
लिए उन्हें प्रेरित किया जा सके।
सुश्री योगिता रघुवंशी के जीवन
से ही प्रेरणा लें। उन्हें लॉजिस्टिक्स और परिवहन उद्योग में एक सच्ची
सुपरवुमन माना जाता है, वे पहली महिला ट्रक ड्राइवर हैं और यहां तक पहुंचने
के लिए उन्होंने जेंडर संबंधी नियमों को धता बताया, जिन्होंने एक ऐसी
महिला का सबसे शानदार उदाहरण पेश किया जो कुछ भी हासिल कर सकती है।
पहली और एकमात्र महिला ट्रक/टायर मैकेनिक सुश्री शांति देवी को भी ऐसे ही एक और उदाहरण के तौर पर याद किया जाता है। ये दोनों ही सच्ची प्रेरणा हैं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों को पार करते हुए पुरुष प्रधान सड़क परिवहन उद्योग में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाने के लिए कदम उठाए।
इस पहल की शुरुआत करते हुए फ्लीका इंडिया के सीईओ और संस्थापक श्री टीकम जैन ने कहा, ‘‘हमारा मकसद टायर प्रबंधन, टायर सेवा और टायर रखरखाव के क्षेत्र में महिला शक्ति को भी जोड़ना है। हालांकि यह एक मुश्किल काम है, क्योंकि यह एक कठोर और चुनौतीपूर्ण क्षेत्र हैI
एक ऐसा सेक्टर जिसे महिलाओं के लिए
उपयुक्त नहीं समझा जाता। शुरू में मुझे भी यही लगता रहा कि अपने इरादों को
हम अमल में कैसे ला पाएंगे, लेकिन जब मैंने देखा कि बड़ी संख्या में महिलाएं
भी लाॅजिस्टिक और ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री के साथ जुड़ती जा रही हैं, तो मेरे
मन का भय भी दूर हो गया। इस स्थिति ने मुझे प्रेरित किया है, और हम फ्लीका
का हिस्सा बनने और संगठन में योगदान करने के लिए नारी शक्ति से सज्जित
वर्कफोर्स की तलाश मै जुट गए। आज फ्लीका इंडिया ने अधिक से अधिक महिला
कर्मचारियों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं।’’
मुंबई में फ्लीका
ट्रेनिंग सेंटर के प्रबंधक श्री मुकेश सिन्हा ने कहा, ‘‘भारत में
लाॅजिस्टिक और ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री एक मजबूत विकास क्षेत्र के रूप मंे
कायम है, और हमें ऐसे महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए आवश्यक
संसाधन पूल स्थापित करने की आवश्यकता है।’’
‘‘फ्लीका ने पहले से
अधिक जेंडर बैलेंस्ड लॉजिस्टिक्स सोसायटी के लक्ष्य को हासिल करने के लिए
प्रतिभावान महिलाओं को तैयार करने और तैनात करने का संकल्प लिया है। सभी
स्तरों पर महिलाओं के लिए सीखने की पहल शुरू की गई है, साथ ही उनके लिए
आवश्यक कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है और उन्हें जरूरी सलाह और
मार्गनिर्देशन भी प्रदान किया जा रहा है।
हम इस क्षेत्र में महिलाओं की
उपस्थिति के परिणामस्वरूप उद्योग में एक महत्वपूर्ण बदलाव देख रहे हैं,
क्योंकि यह ऐसा कार्यबल है, जो अधिक संगठित हैं, जो अधिक कुशल और अनुशासित
हैं। इस तरह हम एक स्वच्छ और सस्टेनेबल इकोसिस्टम का निर्माण कर रहे हैं।’’