राजस्थान
की सियासी राजनीति आधुनिक परिदृश्य में काफी उथल-पुथल भरी चल रहीं हैं।
दोनों ही राष्ट्रीय पार्टी के कई दिग्गज मुख्यमंत्री बनने क चाह में
राजस्थान में अलग-अलग मुद्दों को लेकर सक्रिय हैं। ऐसे गरमाई हुई सियासत के
बीच एक ऐसा विधायक भी हैं।
जिसने राजनीतिक महत्वाकांक्षा को परे रखकर आमजन
के हितों को लेकर सदा आमजन के साथ सदैव खड़ा रहा है। यह विधायक कोई ओर
नहीं आहोर के लोकप्रिय विधायक छगन सिंह राजपुरोहित हैं।
जिन्हें आमजन अब
लोकप्रिय के साथ यशस्वी विधायक का संबोधन देते हुए गर्व से कहते हैं कि
"मेरा विधायक, मेरा स्वाभिमान"। आहोर विधायक के निर्वाचन के बाद से ही
पिछले पौने तीन साल आमजन के बीच सदैव सक्रिय रहे हैं। वे आमजन के हर
छोटे-बडे़ कार्यक्रम में सहभागी बने हैं।
वे पार्टी कार्यकर्ताओं के
पारिवारिक एवं व्यवसायिक कार्यक्रमों में सदैव सहयोगी बनकर आगे आए।
उन्होंने विनम्र, शालीन, मिलनसार व्यवहार एवं आम लोगों के बीच साधारण
परिवेश में रहकर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ आमजन एवं विरोधियों को भी अपने
से जोड़े रखा।
आजकल छगन सिंह राजपुरोहित पूरे राज्य में खासे चर्चा में
हैं। हो भी क्यों नहीं आखिर? उन्होंने राज्य की एक ऐसी दु:खती रग को समर्थन
दिया जो सियासत के नये आयाम स्थापित कर रहीं हैं।
राज्य में सरकारें हर
पांच साल में बदलती रहीं लेकिन पक्ष विपक्ष के विधायकों ने कभी एक-दूसरे पर
आरोप-प्रत्यारोप के आगे जनहितैषी मुद्दे को लेकर किसी विधायक को इतना
अड़िग नहीं देखा जितनी तत्परता से जनहित के लिए राजपुरोहित डटे रहें।
विधायक छगन सिंह राजपुरोहित ने अपने आहोर विधानसभा के अधीन रोहिट से जालोर
जाने वाले सड़क की खस्ताहाल को देखकर बेवजह चेतक मित्रा टोल कंपनी द्वारा
अनैतिक रूप से टोल वसूली के मुद्दे को हवा दी। उन्होंने पहले एक संकल्प के
तहत ३० सितम्बर तक निश्चित अवधि में टोल कंपनी को चेतावनी दी कि वे
निर्धारित समय अवधि में रोड़ का नवीनीकरण कर दे।
लेकिन टोल कंपनी ने इस ओर
ध्यान नहीं दिया। फिर क्या था? आहोर के युवा यशस्वी विधायक ने युवाओं के
समर्थन से टोल कंपनी के खिलाफ एक अक्टूबर से अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन
शुरू करके मोर्चा खोल दिया। विधायक के इस जनहितैषी पहल का क्षेत्र की जनता
ने खुले दिन से प्रशंसा करके समर्थन दिया।
हर वर्ग, हर जाति, हर गांव के
ग्रामीण सहित भाजपा के तमाम संगठन जिसमें युवा मोर्चा, किसान मोर्चा, महिला
मोर्चा, ओबीसी मोर्चा, एससी मोर्चा, एससी मोर्चा, अल्पसंख्यक मोर्चा सहित
विभिन्न सामाजिक संगठन जिसमें आहोर व्यापारी एसोसिएशन, जालोर जिले के
ग्रेनाइट एवं माइन्स एसोसिएशन, ट्रासंपोर्ट एसोसिएशन, टेम्पो-रिक्शा
एसोसिएशन, हिंदु वाहिनी सेना, छात्र संगठनों, निजी विद्यालय संगठन, बार
एसोसिएशन सहित दर्जनों संगठनों ने समर्थन दिया।
राजपुरोहित की इस जनहितैषी
पहल का असर यह हुआ कि जालोर के विधायक जोगेश्वर गर्ग भी अपने निर्वाचन
क्षेत्र जालोर के भागली टोल पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गये। राजपुरोहित
की जनहितैषी पहल का व्यापक असर पड़ता नजर आ रहा है।
सूत्रों के अनुसार मिली
खबर के अनुसार राजपुरोहित के रोड़ नहीं तो टोल नहीं अभियान से प्रेरित
होकर राज्य के कई विधायक भी अपने अपने निर्वाचन क्षेत्र में टोल वाली खराब
सड़कों के विरूद्ध मोर्चा खोलने का मन बना चुके हैं।
पाली के विधायक
ज्ञानचंद पारख भी अपने निर्वाचन क्षेत्र के अधीन मोरिया टोल पर एकदिवसीय
धरना-प्रदर्शन कर चुके हैं। राज्य में प्रथम बार किसी विधायक ने इस तरह
खराब सड़क के विरुद्ध डटकर मोर्चा खोला है। प्रायः भिन्न-भिन्न सरकारों के
दौरान देखा गया है कि अधिकतर टोल कंपनियां किसी वर्चस्व वाले राजनेता का ही
होता है।
इसलिए कोई राजनेता खुलकर जनता एवं सियासत के मध्य नजर सामने नहीं
आते हैं। लेकिन इस धारणा को बदलने का कार्य आहोर विधायक छगन सिंह
राजपुरोहित ने किया। उनकी यह पहल रोज नये समीकरणों को जन्म दे रहीं हैं एवं
राज्य भर में खासी चर्चा बटोर रही हैं।
अब प्रत्येक विधायक अपने निर्वाचन
क्षेत्र में इस तरह की जनहितैषी कार्य को लेकर खासे सक्रिय नजर आ रहे हैैं।
राजपुरोहित की इस मुहिम को आमजन एवं जालोर जिले के सीमावर्ती आहोर तहसील
से लेकर सांचौर तहसील के अंतिम छोर का नागरिक भी तहदिल से समर्थन दे रहा
है।
राजपुरोहित की मुहिम का जादू युवा तरूणाई पर इस कदर चढ़ा कि जालोर के
युवाओं ने जब तक रोड़ नहीं तब तक टोल नहीं अभियान के तहत पाली जिले के
मोरिया, आहोर तहसील के अजीतपुरा एवं सांकरणा, जालोर के भागली एवं जसवंतपुरा
के गोलाणा तक के पांचों टोल को पूर्ण रुप से खाली करा कर एक प्रकार से टोल
मुक्त कर दिया हैं।
राजपुरोहित की इस मुहिम ने आहोर विधानसभा में एक नया
जोश फूंका हैं। पहली बार क्षेत्र की जनता अपने हक के लिए रोड़ों पर उतरना
सीख गई। आहोर की जनता की जागरूकता ने पूरे जालोर जिले में हक के लिए लड़ने
का नया संकल्प पैदा किया है।
अब पूरे जालोर जिले सहित राज्य की जनता अपने
अधिकारों के लिए हक मांगने पर आमदा हैं। राजपुरोहित की इस मुहिम ने
नि:संदेह प्रदेश को एक नया आइकॉन दिया है जो जनहितैषी कार्यों के लिए जनता
के लिए, क्षेत्र के मतदाताओं के लिए एवं विकास के लिए रोड़ पर सो सकता है,
रोड़ पर ही खाना बनाकर खा सकता है और रोड़ पर ही गर्मी-सर्दी की परवाह किए
बिना तपती धूप और ठंड में मोर्चे पर डटा रह सकता है तथा एसी पंखों से परे
मच्छरों की मार के बीच जंगल जैसे हालातों में सीमित साधनों के बीच न्याय की
पुकार लगा रहा है। राजपुरोहित की इस जीवटता को क्षेत्र का हर नागरिक
तहेदिल से आभार जता रहा है।